Patna : नीतीश कुमार के पाला बदलने और विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने के बाद राजनीतिक उत्सव का समापन हो चुका है. नीतीश कुमार ने विश्वास मत जीत कर राजनीतिक स्थिति की मजबूती को दिखाया है, लेकिन तेजस्वी यादव ने विधानसभा में जिस अंदाज में भाषण दिया उससे उनके राजनीतिक तौर पर परिपक्व होने का अंदाजा लगाया जा रहा है.

उनका बॉडी लैंग्वेज भले ही उग्र दिख रहा ता पर भाषा और शब्दों का चयन बता रहा था कि वक्त से साथ वह राजनीतिक का ककहरा अच्छे से पढ़ रहे हैं.

तेजस्वी ने नीतीश के खिलाफ अपने संबोधन में उच्च शिक्षा और बेरोज़गारी के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन उनकी भाषा पूरी तरह से संयमित रही. उन्होंने नीतीश के पिछले पाला बदल को याद करते हुए एक विधानसभा के कार्यकाल में तीन-तीन बार शपथ लेने पर तंज कसा.

नीतीश को भगवान राम के पिता दशरथ के समान बताया. तेजस्वी ने सड़क से सदन तक नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोलने का भी साहस दिखाया, लेकिन उनकी भाषा में विवाद नहीं था.

तेजस्वी ने विकास के लिए स्थिर सरकार के महत्व को बताया और नीतीश के कुछ अच्छे कामों का भी जिक्र किया. इसके साथ ही, उन्होंने भविष्य के लिए सहयोग की बात की. तेजस्वी ने नाराजगी जतायी पर संजय के साथ.

इतना सब कुछ होने के बाद भी तेजस्वी ने भविष्य में संबंध बनाये रखने का संकेत दिया और संयुक्त रूप से सोचने का सुझाव दिया. विश्वास प्रस्ताव की चर्चा में भी उन्होंने अच्छे संबंध बनाये रखने की राह पर कदम बढ़ाया.

तेजस्वी यादव ने अपने संबोधन के माध्यम से नीतीश कुमार के खिलाफ आपत्तिजनक नहीं, बल्कि संयमित और विचारशील तरीके से अपने दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया.

Share.

Leave A Reply

Exit mobile version