भाजपा ने लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट शनिवार को जारी कर दी. चुनावों की घोषणा से पहले ही बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों को मैदान पर उतार दिया है. पहली लिस्ट में पार्टी ने अपने 33 सांसदों का टिकट काट कर नये चेहरों पर भरोसा जताया है.

झारखंड से भी कुछ सीटों पर उम्मीदवार बदल दिये गये हैं. इनमें सबसे प्रमुख चेहरा है पूर्व मंत्री जयंत सिन्हा का. जयंत सिन्हा पूर्व विदेश और वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के बेटे हैं. उम्मीदवारों की घोषणा से पहले ही उन्होंने सक्रिय राजनीति से किनारा करने की घोषणा कर दी थी. संभवतः उन्हें यह संदेश मिल चुका था कि इस बार उन्हें मौका नहीं दिया जा रहा है.

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पहली बार जब वह सांसद बने उस वक्त उन्हें वित्त राज्य मंत्री बनाया गया था. दूसरी बार यानी 2019 में उन्हें टिकट तो मिल गया पर उन्हें मंत्री पद नहीं मिला. तब तक उनके पिता यशवंत सिन्हा भाजपा से नाता तोड़ कर विपक्ष के खेमे में चले गये थे. यशवंत सिन्हा ने कई बार जयंत के लिए असहज कर देनेवाली स्थिति पैदा की.

पार्टी ने हर सांसद की रिपोर्ट कार्ड बनवायी थी. इस रिपोर्ट को टिकट बंटवारे में काफी अहम माना गया. इसमें सांसद की सक्रियता, लोगों से व्यवहार, नवीनतम प्रयोग और बयानों को आधार बनाया गया था. इसके अलावा भी कई मानदंड तय किये गये थे. बताया जा रहा है कि सांसद की अपने लोकसभा क्षेत्र में सक्रियता काफी कम थी. लोगों से उनका मिलना-जुलना भी काफी कम था. किसी भी काम के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. हालांकि उन्होंने कोई भी विवादित बयान नहीं दिया था, जिससे पार्टी असहज होती.

दूसरी ओर मनीष जायसवाल ने लगातार क्षेत्र में सक्रियता बनाये रखी. विधायक होते हुए भी उन्होंने न सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र तक अपने को सीमित रखा बल्कि पूरे संसदीय क्षेत्र में उन्होंने लोगों से मिलना जुलना और पार्टी के कार्यक्रमों को जारी रखा.

साथ ही मनीष जायसवाल को आक्रामक छवि वाला नेता माना जाता है. उन्होंने विपक्ष पर कई तीखे हमले किये थे. हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ उन्होंने मजबूती से आवाज बुलंद की थी. पिछले साल रामनवमी के कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाने के प्रशासन के फैसला पर भी उन्होंने अपनी आवाज बुलंद की थी. बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व से भी उनके अच्छे संबंध रहे हैं.  

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