अफगानिस्तान के गजनी के फुटबॉल स्टेडियम में गजनी के वार्दाक प्रांत के सईद जमाल और गुल खान को मौत की सजा दी गई, जो कि एक अदालती मामले में दो अलग-अलग हमलों के आरोपी थे. इस सजा के पीछे अदालती निर्णय के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र ने इसे कड़े विरोध का सामना किया है, कहते हुए कि इस तरह की हिंसा एक मानवता के खिलाफ अपराध है.

मृतकों के परिवारों ने आरोप लगाया है कि उन्हें ही गोलियां चलाई गई थीं, जबकि पुलिस के प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि की है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि बंदूक कैसे प्राप्त की गई थी और किसने उसका इस्तेमाल किया था.

इस सजा का निर्णय तालिबान के सुप्रीम कोर्ट द्वारा आया था, जो कि हैबतुल्ला अखुंदजादा के नेतृत्व में था. धार्मिक विद्वानों ने इस मामले में दोषियों को माफ करने की अपील की थी, लेकिन उन्होंने अपील को ठुकरा दिया.

इस घटना ने संयुक्त राष्ट्र को सक्रियता की आवश्यकता का अनुभव किया, और उन्होंने तालिबान को इस प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए खड़ा होने के लिए आग्रह किया है. तालिबान ने पिछले कुछ समय में कई सार्वजनिक सजाओं का आयोजन किया है, जो कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में चिंता का विषय बने हैं.

यह समाचार दिखाता है कि अफगानिस्तान की स्थिति में अब भी चुनौतियां हैं और शांति की कवायद में नए कदम उठाने की आवश्यकता है. संयुक्त राष्ट्र ने सजा को लेकर अपना स्टैंड कड़े शब्दों में व्यक्त किया है, जो साफ़ रूप से दिखाता है कि उन्हें ऐसी हिंसा का खिलाफ लड़ाई में सक्रिय भागीदारी करने की नीयत है.

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