24 घंटे के अंदर ही अखिलेश यादव ने अपने उम्मीदवार का नाम वापस लिया और सीट कांग्रेस को दे दी
Lucknow : सपा और कांग्रेस की बीच लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन हो गया है. सीटों के बंटवारे का भी मसला हल कर लिया गया है. हालांकि सपा ने कांग्रेस से समझौता होने के पहले ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी. पर सीटों के समझौते की सबसे खास बात यह रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट वाराणसी कांग्रेस के खाते में चली गयी. इससे पहले अखिलेश ने सपा नेता सुरेंद्र सिंह पटेल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले वाराणसी के मैदान में उतारा था. 24 घंटे के अंदर ही समीकरण बदला और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यह सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी. और अब कांग्रस के उम्मीदवार पीएम मोदी को चुनौती देंगे. ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस सीट के लिए खास रणनीति तैयार की है.
वाराणसी से पीएम मोदी दो बार सांसद बन चुके हैं. पहली बार 2014 में और दूसरी बार 2019 में, उम्मीद यह है कि तीसरी बार भी वह यहीं से चुनाव लड़ेंगे. हालांकि अभी बीजेपी ने किसी भी सीट पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है.
कांग्रेस और सपा मिल कर भाजपा के खिलाफ क्या रणनीति तैयार करते हैं. अपने पुराने समीकरण एम-वाई पर ही टिके रहते हैं या फिर उसमें कुछ और फैक्टर जोड़ेंगे. साथ ही यह भी फैसला लेना है कि पुराने और मंजे हुए चेहरे को मैदान में उतारा जाये या किसी नये चेहरे पर दांव खेला जाये. जब से पीएम मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ रहे हैं कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर अजय राय उनसे मुकाबला करते आये हैं. अजय राय अब उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. अजय राय 2009 में सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. ऐसे में कांग्रेस के पास तीन बार चुनाव लड़ चुके अनुभवी नेता अजय राय हैं. पर अजय राय पर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की अन्य सीटों पर भी कामयाबी दिलाने की जिम्मेदारी होगी. ऐसे में वह अपनी सीट पर कितना वक्त दे पायेंगे यह भी एक सवाल है.
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