Patna : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मोहन यादव को नया मुख्यमंत्री घोषित कर सभी को चौंका दिया.
मध्य प्रदेश में सबसे ताकतवर मोहन यादव की ताजपोशी को उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा में यादव मतदाताओं को लुभाने की खास योजना से जोड़ कर देखा जा रहा है.
कहा जा रहा है कि अब बीजेपी की रणनीति यह है कि मोहन को आगे लाकर इन राज्यों में यादव परिवार को एक सकारात्मक संदेश दिया जाये और उन्हें अपने खेमे में लाने की कोशिश की जाये.
अब बीजेपी इसी राह पर उतरती नजर आ रही है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव अगले सप्ताह बिहार का दौरा करेंगे. मोहन यादव इस दौरान राजधानी पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. कार्यक्रम का आयोजन 18 जनवरी को किया जायेगा.
बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद मोहन यादव का यह पहला बिहार दौरा होगा. श्री कृष्ण मोमोरियल हॉल में 18 जनवरी को मोहन यादव को सम्मानित किया जायेगा.
लोकसभा चुनाव भी नजदीक आ रहे हैं, ऐसे में बिहार बीजेपी के लिए इस घटना के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं और इसे यादव वोटों के गणित से जोड़कर देखा जा रहा है.
बताया जा रहा है कि बीजेपी मोहन यादव को पटना बुलाकर और उनका जश्न मनाकर यादव मतदाताओं को एक संदेश देने की उम्मीद कर रही है.
इसे लोकसभा चुनाव से पहले यादव मतदाताओं का समर्थन आकर्षित करने के लिए भाजपा के एक रणनीतिक कदम के रूप में भी देखा जा रहा है.
गौरतलब है कि बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर को जाति जनगणना के आंकड़े जारी किए थे. जाति जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, बिहार की आबादी में यादवों की हिस्सेदारी लगभग 14% है.
राज्य में यादव परंपरागत रूप से लालू यादव के समर्थक माने जाते हैं. राजद के 15 साल के शासनकाल के पीछे यादव वोट बैंक को भी कारण बताया जाता है. भाजपा ने लंबे समय से यादव वोटों को कमजोर करने की रणनीति अपनाई है, लेकिन इसमें ज्यादा सफलता नहीं मिली.
अब बीजेपी की रणनीति उनकी छवि सीएम के रूप में उभारकर यादव वोटों को बांटने की है.